केवल तार और केबल ही विद्युत शक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा सकते हैं। तार और केबल एक ही उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। इन दोनों के बीच मूलभूत अंतर यह है कि तार को एक कंडक्टर के रूप में संदर्भित किया जाता है, और इसके ऊपर किसी भी तरह का इन्सुलेशन नहीं होता है। जबकि केबल में पीवीसी इन्सुलेशन का उपयोग केबल में कंडक्टर की सुरक्षा के लिए किया जाता है, और कुछ स्थितियों में, रबर की एक परत भी लगाई जाती है। इस इंसुलेशन के कारण केबल्स तारों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इंसुलेशन की परत के कारण करंट के रिसाव की कोई संभावना नहीं होती है। इन्हें छूने से बिजली का झटका लगने का भी खतरा नहीं होता है।
बिजली के खंभों पर इस्तेमाल होने वाले तार, जिन्हें अक्सर ओवरहेड तारों के रूप में जाना जाता है, इन तारों पर भी इन्सुलेशन नहीं होता है। वे एल्यूमीनियम कंडक्टर स्टील प्रबलित तारों का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इन्हें भी तेजी से केबलों द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है। इन ओवरहेड तारों का निर्माण कई एल्यूमीनियम तारों को मिलाकर और उनके बीच एक स्टील के तार को डालकर किया जाता है। एल्युमीनियम के तारों की मजबूती और उनसे बहने वाली बिजली को बनाए रखने के लिए स्टील के तार लगाए जाते हैं। इस प्रकार के तारों का उपयोग हाई-वोल्टेज लाइनों में किया जाता है।
जैसा कि पहले कहा गया है, तार के इस रूप में कोई इन्सुलेशन नहीं है, इस प्रकार इन तारों का उपयोग केवल 25 से 30 फीट की ऊंचाई पर किया जाता है, जहां मनुष्य या जानवर आसानी से उन तक नहीं पहुंच सकते। जब इन लाइनों पर काम किया जाता है, तो इसे पूरा करने का एकमात्र तरीका उन्हें बिजली बंद करना है।
तारें और केबलों के द्वारा ही विद्युत को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाया ले जाया जा सकता है। तारों और केबलों, दोनों का उपयोग एक ही है। इन दोनों में मुख्य अन्तर केवल इतना है कि तार, चालक पदार्थ की उस डोरी को कहते हैं जिस पर किसी प्रकार का इन्सुलेशन नहीं चढ़ा होता है। जबकि केबल में, तार के ऊपर रबड़ या PVC का इन्सुलेशन चढ़ा हुआ होता है। इसी इन्सुलेशन के कारण ही केबलें, तारों से ज्यादा सुरक्षित होती है, क्योंकि इनमें करन्ट के लीक होने का कोई खतरा नहीं होता है। इनको छू लेने से झटका लगने का कोई डर नहीं होता है।
घरेलू तारें (डॉमेस्टिक वायर्स)
घरों में वायरिंग के लिये उपयोग किये जाने वाले तारों/केबलों को घरेलू केबल्स या डॉमेस्टिक तार/डॉमेस्टिक केबल कहा जाता है। ये तारें, हाईटेंशन तार/ओवर हेड तारों से पतली होती है तथा इन पर पी.वी.सी. का इन्सुलेशन भी चढ़ा होता है।
केबल का डिजाइन
किसी भी केबल में, मुख्य रूप से दो चीजें होती हैं
तार का पदार्थ
डॉमेस्टिक केबल सामान्यत: एल्युमिनियम व तांबे के बने हुये होते हैं। इन केबलों में या तो केवल एक ही तार होती है या इनमें कई तारों का गुच्छा एक कामन तार के रूप में रहता है।
इन्सुलेशन
तारों से करन्ट के लीक होने से बचाने के लिये या दूसरे शब्दों में कहें तो सुरक्षा के दृष्टिकोण से तारों के उपर विद्युत कुचालक पदार्थों का एक कवर चढ़ाया जाता है। इसी सुरक्षात्मक कवर को ही इन्सुलेशन कहा जाता है। ये इन्सुलेशन कई प्रकार के होते हैं जैसे
कपड़ा और सिल्क :
इन विद्युत कुचालक पदार्थों का उपयोग तारों के सुरक्षात्मक कवर अर्थात् इन्सुलेशन के लिये किया जाता है।
कागज :
कागज का उपयोग अण्डर ग्राऊण्ड केबल में प्रथम इन्सुलेटर के रूप में किया जाता है। इसके लिये कागज को तेल में भिगोकर उसे तारों के उपर चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसके उपर अन्य कई प्रकार के इन्सुलेटर्स लगाये जाते हैं।
रबड़ :
पेड़ों से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक रबड़ अर्थात् कच्चे रबड़ का उपयोग विद्युत तारों में इन्सुलेटर के रूप में नहीं किया जाता, क्योंकि यह रबड़ जल्दी पिघल जाता है। विद्युतीय कार्यों के लिये रबड़ में गंधक मिलाकर, रबड़ को पक्का बनाया जाता है। इस क्रिया को वल्केनाईजेशन कहा जाता है। इस तरह प्राप्त पक्के रबड़ का उपयोग अब तारों पर इन्सुलेटरों के रूप में किया जाता है। इन्सुलेटर चढ़े इन तारों को V.I.R. तार (या वेल्केनाईज्ड इण्डियन रबड़ वायर) कहा जाता है।
पी.वी.सी. :
पी.वी.सी. का पूरा नाम ‘पॉलीविनाईल क्लोराईड’ है। इसका उपयोग भी विद्युत तारों में इन्सुलेटर की तरह किया जाता है।
प्लास्टिक :
प्लास्टिक पदार्थों से इन्सुलेट किये गये तारों को फ्लेक्जिबल या प्लास्टिक वायर्स कहते हैं।
तारों के विभिन्न प्रकार व उनके उपयोग
वी.आई.आर. वायर
इसका पूरा नाम वेल्केनाईज्ड-इण्डियन रबड़ तार है। इसका उपयोग अधिकांशतः घरेलू विद्युतीय वायरिंग में किया जाता है। कण्ड्यूट पाईप वायरिंग तथा केसिंग केपिंग वायरिंग में सामान्यतः इन्हीं तारों का उपयोग किया जाता है।
सी.टी.एस. तार
सी.टी.एस. का पूरा नाम केबल टायर शीथ है। पानी और गर्मी के प्रभाव को पूरी तरह रोकने के लिये, तारों में किये गये रबड़ के इन्सुलेशन के ऊपर एक और सफेद रंग का कठोर इन्सुलेशन चढ़ाया जाता है। इस CTS तारों का उपयोग बैटन पट्टी वायरिंग के लिये किया जाता है। इस प्रकार के तार में एक, दो या तीन कोरें होती है।
पी.वी.सी. तार
इसका पूरा नाम पॉलीविनाईल क्लोराइड वायर है। इस प्रकार के वायर में तारों के उपर चढ़ाया जाने वाला इन्सुलेशन पी.व्ही.सी. का होता है। पी.व्ही.सी. रंगीन तथा रबड़ की तरह का लचकदार इन्सुलेशन होता है, जो मौसम के प्रभाव अर्थात् सर्दी-गर्मी को अच्छी तरह सहन कर सकता है। पी.व्ही.सी. तारों का उपयोग कन्ड्यूट वायरिंग, केसिंग केपिंग वायरिंग और बेटन पट्टी वायरिंग तीनों में ही किया जा सकता है।
फ्लेक्सिबल वायर
नाम से ही स्पष्ट है कि ये काफी लचीले तार होते हैं। इनमें इन्सुलेशन पी.वी.सी. का होता है। इस तार का उपयोग अस्थाई वायरिंग के लिये किया जाता| सामान्यत: इनका उपयोग स्थायी वायरिंग के लिये नहीं होता है। इनका उपयोग सामान्यत: वॉल-सॉकट से बाहरी कनेक्शन लेने के लिये किया जाता है।
फ्लेक्सिबल वायर में मुख्यत: दो अलग-अलग तार होते हैं जो आपस में लिपटे हुये रहते हैं। कई बार दो इन्सुलेटेड फ्लेक्जिबल वायर्स को एक अन्य रबर या प्लास्टिक के इन्सुलेशन में लगाकर इसका एक केबल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के केबल वायर का उपयोग पंखों, विद्युत प्रेस, टी.वी., वी.सी.आर., सी.डी. प्लेयर्स व अन्य इलेक्ट्रॉनिक समानों में मेन्स कार्ड के रूप में मुख्यता से किया जाता है।
सर्विस केबल क्या है?
बिजली के खंभों से जिन केबलों के द्वारा सप्लाई को घर पर लगे मेन बोर्ड तक लाया जाता है, उस केबल को सर्विस केबल कहा जाता है। सर्विस केबल, वैदर पुफ केबल होती है अर्थात् इस केबल पर ठंड, बरसात तथा गर्मी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
इस केबल में तार को पहले रबड़ से इन्सुलेट किया जाता है और फिर उस पर कॉटन थ्रेड ब्रेडिंग का इन्सुलेशन किया जाता है। इसी ब्रेडिंग मटेरियल को वाटर पुफ कंपाऊण्ड में भिगोया गया होता है। सर्विस केबल सामान्यत: डबल कोर केबल होती है याने इस केबल में इन्सुलेशन के अंदर दो चालक तारें होती है।
खंभे से मेन बोर्ड तक इस केबल को शक्ति प्रदान करने के उद्देश्य से इस केबल के साथ 10 SWG का एक G.I. (गैल्वेनाईज्ड आयरन) तार लगाया जाता है। इस सर्विस केबल का उपयोग 1000 वोल्ट तक की सप्लाई के लिये कर सकते हैं। इसलिए इन सर्विस केबलों को लो-टेन्शन केबल या LT केबल भी कहते हैं।
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