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न्यूक्लियर पावर प्लांट क्या है |What is Nuclear power plant

 Nuclear Power Plant in Hindi : इस प्रकार के पावर प्लांट में ईंधन के रूप में यूरेनियम (Uranium) पदार्थ का प्रयोग किया जाता है। एक किलोग्राम (Kilogram) यूरेनियम से, उत्पन्न उष्णीय उर्जा, लगभग 27,00 किंवटल कोयले से उत्पन्न उष्मीय उर्जा के समान होती है। इसमें परमाणु के विखंडन से उष्मीय उर्जा उत्पन्न की जाती है। यूरेनियम के परमाणुओं को विखंडित करने के लिए एटोमिक रिएक्टर (Atomic Reactor) का प्रयोग किया जाता है। परमाणु के विखंडन से उत्पन्न उष्मीय उर्जा से भाप बनाई जाती है इस भाप से टरबाइन को घुमाया जाता है जोकि अल्टरनेटर से जुड़ी होने के कारण अल्टरनेटर को घुमाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है। न्यूक्लियर पावर प्लांट भारत में तारापुर, नरौरा, और राणा प्रताप सागर (राजस्थान) में स्थापित किए गए हैं।

न्यूक्लियर पावर प्लांट क्या है |What is Nuclear power plant
Nuclear Power Plant

इस प्रकार के पावर प्लांटों में अधिक क्षमता (मैगा वोल्ट एम्पीयर, M.V.A.) वाले आल्टरनेटरों का प्रयोग किया जाता है। इन पावर प्लांटों में न्यूक्लियर रिएक्टर को उष्मा के स्त्रोत के स्थान पर प्रयोग करते हैं जिसमें फिसिन द्वारा उत्पन्न उष्मीय उर्जा पिघले हुए विस्मथ या सोड़ियम या पोटाशियम के मिश्रण को गर्म करती है और ये पदार्थ कम दबाव के भाप से ही उँचे तापमान तक गर्म किए जा सकते हैं। और उँचे तापमान के पिघले हुए पदार्थों को हीट एक्सचेंजरों में से प्रवाहित कर भाप बनाई जाती है यह भांप, टरबाइन को चलाकर जनरेटर चलाती है जिससे विद्युत उत्पन्न की जाती है।

न्यूक्लियर पावर प्लांट के मुख्य भाग

न्यूक्लियर पावर प्लांट के मुख्य 4 भाग होते है .

  1. न्यूक्लियर रिएक्टर
  2. हीट एक्सचेंजर
  3. स्टीम टरबाइन
  4. आल्टरनेटर

न्यूक्लियर रिएक्टर

न्यूक्लियर रिएक्टर वह उपकरण होता है जिसमें परमाणु ईंधन का नाभिकीय विखंडन किया जाता है। जब एक बार विखंडन होता है तो शुरु होने वाले चेन रिएक्शन को यह नियंत्रित करता है। यदि चेन रिएक्शन (शृंखला अभिक्रिया) को नियंत्रित न किया जाए तो निर्मुक्त ऊर्जा तीव्र वृद्धि के कारण विस्फोट हो जाएगा। वास्तव में भार की आवश्यकता के अनुसार यह स्वतः ही नियंत्रण छड़ों को घटाता या बढ़ाता है। रिएक्टर में उत्पन्न हुए ताप या ऊष्मा को शीतलक (Coolant) द्वारा समाप्त किया जाता है, ये शीतलक सामान्यतः सोडियम धातु होती है। शीतलक उस ताप को हीट एक्सचेंजर तक ले जाता है।

हीट एक्सचेंजर

शीतलक ऊष्मा को हीट एक्सचेंजर तक देता है जिसे भाप को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। ऊष्मा देने के बाद शीतलक को रिएक्टर में भर दिया जाता है।

 स्टीम टरबाइन

हीट एक्सचेंजर में उत्पन्न हुई ऊष्मा को वाल्व के माध्यम से स्टीम टरबाइन में भेज दिया जाता है। टरबाइन में अपना उपयोगी कार्य करने के लिए बाद भाप को कन्डेसर में निकाल दिया जाता है। कन्डेसर वाष्प को संघनित करता है जिसे फीड वाटर पाइपों के द्वारा हीट एक्सचेंजर को भेजा जाता है।

आल्टरनेटर

स्टीम टरबाइन आल्टरनेटर को चलाती है। जो यांत्रिक ऊर्जा को वैद्युतिक ऊर्जा में रूपांतरित करता है। आल्टरनेटर की आउटपुट को ट्रान्सफार्मर परिपथ भंजकों तथा पृथक्कारियों के माध्यम से बस-बारों को भेज दिया जाता है।

न्यूक्लियर पावर प्लांट कंहा पर लगाया जा सकता है

सस्ते एवं कुशल उत्पादन के लिए परमाणु शक्ति केन्द्र के लिए स्थान का चयन करने में निम्नलिखित घटकों पर विचार किया जाना चाहिए:

जलापूर्ति की उपलब्धता: ठंडा करने के लिए पर्याप्त । जल (जितना कोयला संयंत्र के लिए अपेक्षित होता है। उससे दो गुने से अधिक) की जरूरत पड़ती है। आबादी क्षेत्र से दूरीः संयंत्र के समीप वायुमंडल में । रेडियोधर्मी तत्त्वों के विद्यमान रहने का खतरा होता है। सुरक्षा मानदंड के अंतर्गत संयंत्र में एक डोम का प्रयोग किया जाता है जो रेडियोधर्मिता को फैलने नहीं देता है। इसका चयन किसी भी कीमत पर विद्यालयों, अस्पतालों, तेलशोधक कारखानों, रसायनिक उद्योगों के पास नहीं होना चाहिए।

परिवहन सुविधाएँ: चूंकि परमाणु शक्ति संयंत्रों में बहुत कम ईंधन की जरूरत पड़ती है इसलिए किसी भी तरह की सीधी रेल परिवहन सेवा की जरूरत नहीं पड़ती है। परिवहन सुविधाओं की आवश्यकता केवल संयंत्र के निर्माण के समय पर पड़ती है। लोड सेंटर से समीपताः पारेषण लागतों को घटाने की दृष्टि से ऐसे संयंत्र जितना संभव हो लोड सेंटर्स के पास बनाए जाने चाहिए।

अपशिष्ट पदार्थों के लिए स्थान की उपलब्धताः इसमें रेडियोधर्मी अपशिष्टों को नष्ट करने के लिए। उपयुक्त स्थान एवं व्यवस्थाएँ करना आवश्यक होता है। अभिगम्यता/पहुँचः हैवी शील्डेड रेडियोधर्मी पदार्थों को भेजने व प्राप्त करने के लिए संयंत्र के कर्मचारियों हेतु । उपकरणों की ढुलाई के लिए आसान या किफायती पहुँच होनी चाहिए।

भूमि का प्रकार: बड़े रिएक्टर्स 100000 टन भार वाले हो सकते हैं और प्रति वर्ग मीटर पर लगभग 50 टन के दबाव डाल सकते हैं। कोयला एवं जल क्षेत्रों से दूर के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है ताकि क्षेत्र पर आपूर्ति की विश्वसनीयता को बढ़ाया जा सके। प्रयोगात्मक रूप में परमाणु शक्ति संयंत्र की जगह भौगोलिक घटकों से युक्त होती है, केवल जल की अच्छी आपूर्ति ही होनी चाहिए। परमाणु शक्ति संयंत्र हेतु स्थान समुद्र, नदी, झील से निकटता एवं सघन आबादी वाले क्षेत्र से दूर एक आदर्श विकल्प होगा।


न्यूक्लियर पावर प्लांट के फायदे

  • किसी अन्य शक्ति संयंत्र की अपेक्षा परमाणु शक्ति संयंत्रों को कम जगह चाहिए होती है।
  • बहुत कम मात्रा में ईंधन की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए ईंधन परिवहन पर आने वाले खर्च की बचत होती है।
  • चूंकि इसमें अत्यधिक मात्रा में वैद्युतिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कम ईंधन की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे चलाने में न्यूनतम खर्च आता है।
  • भारी मात्र में विद्युत शक्ति उत्पादन के लिए इस तरह के संयंत्र सस्ते होते हैं।
  • यह प्रचालन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करते हैं।
  • विश्वभर में परमाणु ईंधनों के बड़े भंडार उपलब्ध हैं। इसलिए ऐसे संयंत्र हजारों वर्ष तक विद्युत ऊर्जा की अनवरत आपूर्ति कर सकते हैं।
  • इन्हें लोड सेंटर्स के समीप लगाया जा सकता है। इसलिए प्राथमिक वितरण की लागत घट जाती है।

न्यूक्लियर पावर प्लांट के नुकसान

  • परमाणु संयंत्र की स्थापना लागत अन्य प्रकार के संयंत्रों की अपेक्षा अत्यधिक होती है।
  • इसमें प्रयुक्त ईंधन खर्चीला होता है और इसे पुनः प्राप्त करना मुश्किल होता है।
  • विखंडित उप-उत्पाद सामान्यतः रेडियोधर्मी होते हैं और इनकी वजह से रेडियोधर्मी प्रदूषण का अत्यधिक खतरा हो सकता है।
  • चूंकि उप-उत्पाद रेडियोधर्मी होते हैं इसलिए इनका निबटान करना एक बड़ी समस्या होती है। इन्हें या तो गहरे गड्ढों में दबाया जाता है या फिर समुद्रतट से दूर समुद्र में प्रवाहित किया जाता है।
  • भिन्न-भिन्न भारों के लिए परमाणु शक्ति संयंत्र उपयुक्त नहीं होते हैं क्योंकि भार उतार-चढ़ाव को रिएक्टर दक्षतापूर्वक पूरा नहीं कर पाता है।
  • संयंत्र की स्थापना में अत्यधिक जानकारियों की आवश्यकता पड़ती है।
  • मानकीकरण की कमी के कारण से अनुरक्षण खर्च ज्यादा आता है। और संयंत्र को चलाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों के उच्च वेतन, लागत को और अधिक बढ़ा देते हैं।
  • चूंकि शीतलक जल की आवश्यकता अत्यधिक पड़ती है, इसलिए परमाणु शक्ति संयंत्रों के लिए कूलिंग टावर्स परंपरागत वाष्प शक्ति संयंत्र की अपेक्षा अधिक बड़े व खर्चीले होते हैं।

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