लेज़र डायोड एक Optoelectronic डिवाइस है जो विधुत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित करता है। लेज़र डायोड में अर्द्धचालक का PN Junction लेज़र माध्यम की तरह कार्य करता है। जब लेज़र डायोड को फॉरवर्ड बायस में जोड़ा जाता है तब यह उच्च तीव्रता का एकवर्णी (monochromatic) Coherent प्रकाश पुंज (Light Beam)उत्पन्न करता है। लेज़र डायोड का कार्य सिधांत एक सामान्य LED की तरह होता है लेकिन दोनों से उत्पन्न होने वाली प्रकाश पुंज में अंतर होता है। Led से उत्पन्न होने वाला प्रकाश पुंज एकवर्णी तथा Coherent नहीं होता है जबकि लेज़र डायोड से उत्पन्न होने वाला प्रकाश पुंज एकवर्णी तथा Coherent होता है।
लेज़र(LASER) क्या होता है?
LASER का पूरा नाम Light Amplification By Stimulated Emission And Radiation जिसका मतलब होता है विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश का प्रवर्धन अर्थात लेज़र एक प्रकार का Amplify किया हुआ प्रकाश है। लेज़र सामान्य प्रकश से भिन्न होता है। इसकी तीव्रता सामान्य प्रकाश की तुलना में बहुत तेज होती है।
लेजर डायोड निर्माण
लेज़र डायोड का निर्माण डोप्ड किये हुए दो गैलियम आर्सेनाइड के परत (Layer) द्वारा किया जाता है। इनमे से एक गैलियम आर्सेनाइड का लेयर N टाइप तथा दूसरा गैलियम आर्सेनाइड का लेयर P टाइप होता है। लेज़र डायोड के निर्माण में सेलेनियम ,एल्युमीनियम आदि का प्रयोग डोपिंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।
गैलियम आर्सेनाइड से तैयार किये हुए P तथा N टाइप पदार्थ को आपस में जोड़कर एक PN Junction बनाया जाता है। इस Junction के बीच में एक बहुत ही पतली सी बिना डोपिंग की हुई गैलियम आर्सेनाइड की परत डाली जाती है।
बिना डोपिंग की हुई इस पतली परत को P तथा N Junction के बीच डालने का मकसद इलेक्ट्रॉन्स तथा होल्स को आपस में Combine होने के लिए अतिरिक्त जगह उपलब्ध कराना है। इस बिना डोपिंग किये हुए परत को डालने की वजह् से ज्यादा मात्रा में फोटोन उत्पन्न होते है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।
लेज़र डायोड कैसे कार्य करता है?
लेज़र डायोड के कार्य करने की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें इससे संबंधित तीन प्रक्रिया को समझाना पड़ेगा है। ये तीन प्रक्रिया है
- Absorption (अवशोषण)
- Spontaneous Emission (स्वत: उत्सर्जन)
- Stimulated Emission (प्रेरित उत्सर्जन)
- Absorption (अवशोषण)
- Spontaneous Emission (स्वत: उत्सर्जन)
बाह्य उर्जा श्रोत से उर्जा ग्रहण करने के बाद इलेक्ट्रॉन्स उच्च उर्जा स्तर पर चले जाते है। उच्च उर्जा स्तर ग्रहण करने के बाद इलेक्ट्रॉन्स वहा पर बहुत ही कम समय(10-5s) के लिए रुकते है और पुनः दुबारा संयोजी बैंड में उत्पन्न हुए होल्स के साथ Recombine होने के लिए उच्च उर्जा स्तर (E2) तथा निम्न उर्जा स्तर(E1) के अंतर (E2 – E1) बराबर के उर्जा का एक फोटोन उत्पन्न कर पुनः दुबारा निम्न उर्जा स्तर पर चले आते है। इस प्रकार उत्पन्न फोटोन प्रकाश के रूप में दिखाई देता है और इस पूरी प्रक्रिया को Spontaneous Emission (स्वत: उत्सर्जन) कहा जाता है। जैसे की निचे के चित्र में दिखाया गया है।
- Stimulated Emission (प्रेरित उत्सर्जन)
जब लेज़र डायोड को बाह्य उर्जा श्रोत से जोड़ा जाता है तब इलेक्ट्रॉन्स उत्सर्जन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है। एक समय ऐसा आता है जब उच्च उर्जा स्तर पर पंहुचा हुआ इलेक्ट्रॉन्स अपना पूरा समय (10-5s) व्यतित करने से पहले ही अन्य दुसरे उत्पन्न हुए फोटोन या इलेक्ट्रॉन्स द्वारा बल पूर्वक उच्च उर्जा स्तर से हटा दिए जाते है।
जिससे ये इलेक्ट्रॉन्स उच्च उर्जा स्तर तथा निम्न उर्जा स्तर के बराबर के दो फोटोन उत्पन्न कर निम्न उर्जा स्तर में आ जाते है। इस प्रकार फोटोन उत्पन्न करने की प्रक्रिया Stimulated Emission (प्रेरित उत्सर्जन) कहलाती है।Stimulated Emission द्वारा उत्पन्न सभी फोटोन एक ही दिशा में चलते है जिससे उच्च तीव्रता वाला एक प्रकाश पुंज उत्पन्न होता है जिसे Laser Light कहते है। जैसे की निचेर दिखाया गया है।
लेज़र डायोड के लाभ
लेज़र डायोड की दक्षता (Efficiency) ज्यादा होती है।
लेज़र डायोड आकार में छोटे होते है।
लेज़र डायोड का वजन बहुत कम होता है।
लेज़र डायोड लम्बे समय तक कार्य करते है।
लेज़र डायोड अन्य डायोड की तुलना में सस्ते होते है।
लेज़र डायोड के हानि
लेज़र डायोड जिस जगह ज्यादा पॉवर की जरुरत पड़ती है वहा के लिए ठीक नहीं होते है।
लेज़र डायोड तापमान पर निर्भर करते है।
लेज़र डायोड के उपयोग
लेज़र डायोड का उपयोग लेज़र पॉइंटर में किया जाता है।
लेज़र डायोड का प्रयोग Absorption स्पेक्ट्रोमेट्री में किया जाता है।
लेज़र डायोड का प्रयोग लेज़र प्रिंटिंग में किया जाता है।
लेज़र डायोड का प्रयोग लेज़र स्कैनिंग में किया जाता है।
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