भारत में पावर इनवर्टर या होम यूपीएस का इस्तेमाल काफी समय से होता आ रहा है। लगातार बिजली कटौती के कारण, घरेलू यूपीएस या पावर इन्वर्टर उद्योग ने भारत में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन सौर ऊर्जा और सौर पैनलों में बढ़ती रुचि के साथ, कई लोग ग्रिड से खींची गई बिजली को बचाने के लिए बैटरी चार्ज करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने के बारे में सोच रहे हैं। सोलर इन्वर्टर के बारे में सुनकर, बहुत से लोग आश्चर्य करते हैं कि उनका मौजूदा इन्वर्टर सिस्टम उपयोगी है या नहीं। अतीत में, बिजली बचाओ में हमारे मन में यह सवाल कई बार आया है: सोलर इन्वर्टर और रेगुलर इन्वर्टर में क्या अंतर है? इस लेख के माध्यम से हम इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा आज मै आपको Solar inverter और Normal Inverter से जुड़े मुख्य 4 सवालो के जवाब दूंगा।
- इन्वर्टर क्या काम करता है?
- सोलर और नार्मल इन्वर्टर में क्या अन्तर होता है?
- हमे घर में कौनसा inverter लगाना चाहिए?
- नॉर्मल इन्वर्टर को सौलर इन्वर्टर में कैसे बदला जाता है?
What Inverter works (इन्वर्टर क्या काम करता है)
एक पावर इन्वर्टर या इनवर्ट एक ऐसा उपकरण है जो ट्रांसफॉर्मर, स्विचिंग और कंट्रोल सर्किट का उपयोग करके डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में परिवर्तित करता है। और यह किसी भी इन्वर्टर का मूल कार्य है: चाहे वह सोलर हो या रेगुलर इन्वर्टर। एक होम यूपीएस या होम इन्वर्टर बैटरी से डीसी पावर लेता है और इसे उपकरणों द्वारा उपयोग की जाने वाली एसी पावर में परिवर्तित करता है।
Solar Inverter और Normal Inverter में अंतर
सोलर और नार्मल इन्वर्टर दोनों के बीच मुख्य अंतर इन दोनों के काम पर होता है। Normal inverter हमारे मुख्य 3 काम को पूरा करता है, जबकि solar inverter के अंदर 5 प्रकार के फंक्शन होते है।
Normal inverter
- Converter (कन्वर्टर)
- Charger (चार्जर)
- Inverter (इन्वर्टर)
नार्मल इन्वर्टर के अंदर लगे Converter का काम AC सप्लाई को DC सप्लाई में बदलना होता है। इसके बाद कन्वर्टर से मिलने वाला DC current चार्जर के पास जाता है, यह चार्जर बैटरी के साथ जुड़ा होता है।
यह Charger हमारी बैटरी को चार्ज कर देता है, और बैटरी के पूरी तरह से चार्ज हो जाने के बाद यह सप्लाई को बंद कर देता है। ताकि बैटरी सुरक्षित रहे।
Battery के चार्ज हो जाने के बाद हमारे inverter का काम आता है। जब कभी घर की AC सप्लाई कट जाती है, तो यह इन्वर्टर हमारी battery में रखी DC supply को AC में बदलकर घर के उपकरण को चला देता है।
Solar Inverter
- Converter (कन्वर्टर)
- Charger (चार्जर)
- Inverter (इन्वर्टर)
- Blocker (ब्लॉकर)
- Charge controller (चार्जर कंट्रोलर)
सभी Solar inverter के अंदर normal inverter के तीनो फंक्शन होते है, लेकिन सौलर इन्वर्टर के अंदर हमको 2 फंक्शन ज्यादा मिलते है। और इन दोनो की वजह से ही solar inverter की कीमत नार्मल इन्वर्टर से ज्यादा होती है।
Blocker- अगर आप आपके घर में सोलर पैनल लगाना चाहते है, तो आपके इन्वर्टर में यह ब्लॉकर फंक्शन जरूर होना चाहिए। वैसे यह सभी सौलर इन्वर्टर में हमे मिलता है। इसका काम रात के समय जब सोलर इलेक्ट्रिसिटी नही देता है। उस समय यह ब्लॉकर हमारी बैटरी में रखी बिजली सोलर पैनल पर जाकर खर्च ना हो जाए, इसको रोकता है। मतलब यह ब्लॉकर सोलर पैनल से इलेक्ट्रिसिटी को सिर्फ आने ही देता है, वापस जाने नही देता है।
Charger controller- यह चार्जर कंट्रोलर दूसरा फंक्शन है, जो की नार्मल इन्वर्टर में नही मिलता है। जैसा की हम सभी को यह पता है, की solar panel हमे कभी भी 24 घण्टे बिजली नही देते है। यह सिर्फ सूरज की रोशनी होने पर ही DC current हमे देते है।
मतलब सोलर पैनल से मिलने वाली इलेक्ट्रिसिटी कभी भी फिक्स नही रहती है, यह थोड़ी-थोड़ी देर में बदलती रहती है। जैसे- दिन में ज्यादा, शाम को कम, रात को बिल्कुल बंद। ऐसा होने के कारण हमे एक नुकसान होता है। क्योंकि हम सभी को पता है की बैटरी को चार्ज करते समय हमको चार्जिंग स्पीड एक फिक्स रखनी होती है। ताकि बैटरी पर जोर नही पड़े, और हमारी बैटरी खराब नही हो। तो यह चार्जर कंट्रोलर solar plate से मिलने वाली बिजली को कंट्रोल करके एक फिक्स स्पीड के साथ बैटरी को चार्ज करता है। जिससे बैटरी की लाइफ अच्छी रहती है।
तो अब इन सब बातो से हमे सोलर और नार्मल इन्वर्टर के बीच अंतर पता चल गया है। सोलर इन्वर्टर के अंदर हमे 2 मुख्य फायदे मिल जाते है, जो की नार्मल इन्वर्टर में नही मिलते है।
Comments
Post a Comment