Sag की परिभाषा
यदि एक नमी चालक को यदि दो खम्बो के बीच खींचकर स्वाभाविक रूप से लटका दिया जाये तो वह चालक,,खम्बो के मध्य में एक वक्र के रूप में झूलने लगेगा यदि दोनों खम्बो के बीच में एक सीधी काल्पनिक रेखा खींची जाये तो काल्पनिक रेखा व खम्बो के मध्य की वक्र रेखा की अधिकतम दूरी झोल(Sag) कहलाती है इसको कभी-कभी डिप भी कहते है.
संचरण लाइन में झोल निम्न कारको से प्रभावित होता है
- खम्बो के बीच की दूरी से
- तार की प्रति एकांक लम्बाई के भार से
- तार पर दिए गए तनाव से
- तार पर हवा के वेग के दबाव से
- तार पर ताप के प्रभाव से
- यदि चालक तार पर बर्फ जम जाये तो बर्फ के भर से
ट्रांसमिशन लाइन में झोल की आवश्यकता(Needed of Sag in Transmission Line)
यदि हम विभिन्न प्रकार की वोल्टेज लाइन को देंखे तो झोल(SAG) प्रत्येक लाइनों के मध्य होता है इससे प्रश्न आता है की क्या लाइन में झोल आवश्यक है इसको समझने के लिए खम्बो के बीच चालक की स्थिति को समझना होगा
यदि मान लिया जाये की दो खम्बो पर एक चालक तार बंधा हुआ है और वो चालक तार अपने भार के कारण दोनों खम्बो के बीच झूल रहा है इस प्रकार लाइन में झोल आ जाता है
इसको कम करने के लिए चालक का एक सिरा एक खम्बे से द्रढ़ता पूर्वक मजबूती से बांध दिया जाता है और दूसरे ओर के खम्बे से चालक तार को खिंचा जाये तो लाइन का झोल कम हो जायेगा परन्तु अंत में पूरा झोल ख़त्म करने के लिए तार का ओर खिंचा जाये तो चालक तार पर लगने वाले खिचाव बल को चालक तार सहन नहीं कर पायेगा और चालक तार टूट जायेगा इसलिए लाइन में झोल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अतः लाइन में झोल(Sag) आवश्यक है
वह अधिकतम खिंचाव सिमा जिसे चालक तार सहन नहीं कर पाए और चालक तार टूट जाये वह चालक की चरम खिंचाव शक्ति(Ultimate Tensile Strength) कहलाती है
अतः चालक तार को खम्बे के बीच में इतना ही खिंचा जा सकता है की उन चालक तार के पदार्थ का भार दोनों खम्बे सहन कर सके.
इसके आलावा वायु के प्रवाह के वेग के अनुसार चालक पर वायु प्रवाह बल,,ताप परिवर्तन के कारण चालक में प्रसारण एवं सकुचन के कारण लाइन के खिंचाव बल में कमी व बढ़ोतरी,,तथा बर्फ के प्रभावी स्थानों पर चालक पर बर्फ जम जाने से बर्फ के भार के कारण खिंचाव बल में वृद्धि जैसे प्रभाव चालक पर पड़ेंगे ये सभी प्रभाव चालक पर और अधिक तनाव देने वाले है और यदि पहले से ही चालक तार को पर्याप्र्त तनाव पर रख दे तो हो सकता है की वायुमडलीय प्रभावों को सहन कर सके इसलिए ट्रांसमिशन लाइनों में तनाव ,चरम सिमा शक्ति पर ना रख कर अपेक्षाकृत कम तनाव पर रखा जाता है
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