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Variable Frequency Drive – VFD Hindi- AC Drive

 Variable Frequency Drive

Ceneloctronics  द्वारा आपके लिए लाए गए एक और जानकारीपूर्ण Blog Post में आपका स्वागत है।आज में आप सबको  VFD(Variable Frequency Drive) के बारे में बताने वाला हु। विशेष रूप से VFD क्या हैं,और हम उनका उपयोग कब करते हैं।

तो वास्तव में VFD क्या है?

VFD का पूरा नाम  वैरिएबल फ़्रीक्वेंसी ड्राइव है,इनका उपयोग एसी मोटर चलाने के लिए किया जाता है,जो frequency के बदलने पर मोटर अपनी गति बढ़ाने दें और घटाने उन्हें एक आसान स्टार्टअप देने के लिए।कुछ लोग बस VFD को  ड्राइव कहते हैं। वे आरपीएम को समायोजित करने के लिए मोटर की आवृत्ति को समायोजित करके काम करते हैं।

ऐसा करने के लिए, एक वीएफडी वास्तव में वोल्टेज को दो बार परिवर्तित करेगा।सबसे पहले, यह  एसी को डीसी में परिवर्तित करता है।यह डायोड के साथ पूरा किया जाता है।फिर यह DC  को कैपेसिटर की सहायता से pure DC के  रूप में  लाता है। इसके बाद यह डीसी को AC  में बदल देगा।

यह स्विच के रूप में कार्य करने वाले Switching component  के साथ पूरा किया जाता है। इन "स्विच" का उपयोग करने से VFD द्वारा मोटर को आपूर्ति की जाने वाली आवृत्ति (Frequency) को बदला जा सकता है इसे यह मोटर की गति को नियंत्रित करता है।

VFD का Full Form Variable Frequency Drive होता है। इलेक्ट्रिक जगत में ये एक बेहतरीन अविष्कार है। आज कल फैक्टरी में इसका उपयोग बहुत ज्यादा होता है। किसी भी मोटर को स्टार्ट करने के लिए स्टार्टर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे डायरेक्ट ऑन लाइन स्टार्टर, स्टार डेल्टा स्टार्टर, सॉफ्ट स्टार्टर जैसे स्टार्टर का उपयोग होता है।


What is VFD & its Working Principle?

Variable Frequency Drive (VFD) ये एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। जिसे इनपुट में फ्रीक्वेन्सी 50 Hz के साथ 440VAC सप्लाई दी जाती है। जिसे आउटपुट में हमारी जरुरत के मुताबिक इसे बदल सकते है।


सबसे पहले, (Rectifier)को देखें जो AC को DC  में परिवर्तित करता हैं। Rectifier का कार्य इस  example  से समझने सकते है, जैसे चेक वाल्व केवल पानी को एक दिशा में बहने देता है। उसी तरह Rectifier AC  करंट को DC  करंट  में बदलता है Capacitor Filter के रूप में होता है,

ट्रांजिस्टर वाल्व की तरह काम करते हैं।जरूरत पड़ने पर वे प्रवाह को चालू और बंद कर देते हैं।यह VFD को मोटर की आवृत्ति को समायोजित करने की अनुमति देता है।अब जब हमें समझ आ गया है कि VFD कैसे काम करता है,

आइए देखें कि उनका उपयोग किस लिए किया जाता है।उद्योग में एक बहुत ही सामान्य उपयोगजल उपचार सुविधा में पानी पंप की गति को नियंत्रित करना है।एक जल उपचार संयंत्र में आमतौर पर संयंत्र में आने वाले पानी का निरंतर प्रवाह होता है।तथापि, यदि संयंत्र से निकलने वाली पानी की मांग संयंत्र में प्रवेश करने वाली आपूर्ति से कम है,तो ऑपरेटर को आपूर्ति को धीमा करने की आवश्यकता होगी।यह एसी मोटर पर वीएफडी का उपयोग करके हासिल किया जाता है।ऑपरेटर जल प्रवाह की निगरानी कर सकता है

और मैन्युअल रूप से VFD को तदनुसार समायोजित करें।वीएफडी के बारे में एक और बड़ी बात यह है कि उन्हें पीएलसी से नियंत्रित किया जा सकता है।बुनियादी संचार प्रोटोकॉल का उपयोग करना पीएलसी वीएफडी का उपयोग करके मोटर गति की निगरानी और नियंत्रण कर सकते हैं। यह जल उपचार जैसी प्रक्रिया बनाने में मदद करता है इतना आसान और अधिक कुशल।

इस सेटअप का उपयोग किसी भी स्थिति में किया जा सकता है जो स्वचालन से लाभान्वित होगा।
आइए देखें कि अब हम क्या जानते हैं।

VFD का मतलब वेरिएबल फ़्रीक्वेंसी ड्राइव है।

  • इनका उपयोग एसी मोटर की गति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
  • उनका उपयोग एक सुचारू स्टार्टअप के लिए मोटर को रैंप करने के लिए भी किया जाता है,
  • या स्टार्टअप पर मोटर को भारी भार से बचाने के लिए।
  • यह मोटर को दी गई आवृत्ति को समायोजित करके पूरा किया जाता है।
  • एसी से डीसी कनवर्टर का सेटअप, फिर डीसी से एसी कनवर्टर।
  • VFDs का उपयोग पूरे उद्योग में किया जाता है।
  • एक सामान्य उदाहरण जल उपचार संयंत्र में प्रवेश करने वाले जल प्रवाह को विनियमित करना है।
  • VFDs ऑपरेटर को पंप के प्रवाह को नियंत्रित करने की अनुमति देता है
  • पीएलसी के साथ मैन्युअल रूप से या स्वचालित रूप से।
  • कई अलग-अलग ब्रांड और सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
यदि आप VFD का उपयोग करने की सोच रहे हैं तो बस अपना शोध करना सुनिश्चित करें!

Motor की स्पीड कैसे बदलते है।

मोटर की स्पीड को RPM (Revolution per Minute) में मापा जाता है।
मोटर में दो तरह की स्पीड होती है
1 – सिंक्रोनॉयस स्पीड (NS)- रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की स्पीड
2 – रोटर स्पीड (NR)- जिस स्पीड पे रोटर घूमता है इसे मोटर स्पीड कहते है।
 सिंक्रोनॉस(NS)-रोटर स्पीड(NR) के बिच के अंतर को स्लीप कहते है।

सिंक्रोनॉस(NS)-रोटर स्पीड(NR) के बिच के अंतर को स्लीप कहते है।
 याद रखे – Variable Frequency Drive सिर्फ AC इंडक्शन मोटर के लिए इस्तेमाल होती है।

मोटर की गति दो तरह से बदला जाता है।

1 – मोटर के पोल चेंज करके
2 – सप्लाई फ़्रिक्वेन्सी में बदलाव करके
 मोटर का पोल बदलना आसान काम नहीं है। जब मोटर का वाइंडिंग किया जाता है इसी वक्त उसके RPM त्यय हो जाता है। और इसके मुताबिक पोल की रचना की जाती है। जैसे की 2 पोल की मोटर का RPM -3000 होता है। 4 पोल की मोटर का RPM 1500 होता है। चलती मोटर में जरुरत के मुताबिक नहीं बदल सकते।
सप्लाई फ्रीक्वेन्सी में बदलाव करके मोटर की गति बदल सकते है। हमारे देश में सप्लाई फ़्रिक्वेन्सी 50Hz (50 cycle/second) है। इस सप्लाई फ्रीक्वेन्सी को VFD (Variable Frequency Drive) के से बदला जा सकता है। और इससे गति बदल सकते है।

 VFD Parts and Function-भाग और कार्य 

 वीएफडी में मुख्य तीन पार्ट होते है।
1 – Converter
2 – Filter
3 – Inverter

 Converter –

कन्वर्टर का काम है कन्वर्ट करना। इनकमिंग पावर सप्लाई थ्री फेज 440 VAC, 50Hz होती है। कनवर्टर में रेक्टिफायर यूनिट की थ्री फेज सर्किट होती है। जो AC सप्लाई को DC में रुपांतर करती है।कनवर्टर से आउटपुट DC सप्लाई फ़िल्टर में जाती है। 

Filter –

फ़िल्टर को चोक भी कहा जाता है। कनवर्टर से आउटगोइंग सप्लाई फ़िल्टर में जाती है। रेक्टिफायर से निकली D.C सप्लाई में कुछ अशुद्धि रह जाती है। इसीलिए, इसे शुद्ध D.C बनाने के लिए फ़िल्टर का इस्तेमाल होता है। फ़िल्टर से पसार होने के बाद ये स्मूथ DC सप्लाई के रुप में हमें मिलती है। इस समय इसकी वैल्यू करीबन 600 वाल्ट होती है।
निचे VFD Circuit की आकृति से हम समज सकते है। जिसमे इनपुट AC सप्लाई है। रेक्टिफायर सर्किट है, फिटर है, और अंत में इन्वर्टर सर्किट है। जहासे हमें वेरिएबल फ्रीक्वेंसी के साथ आउटपुट मिलता है।

Inverter

इन्वर्टर का काम DC सप्लाई को AC में रुपांतर करने का है। इसमें IGBT(Integrated Bipolar Transistor) इलेक्ट्रॉनिक कार्ड है, जिसको ड्राइव का हदय कहा जाता है। 

Insulated gate bipolar transistor(IGBT) इसमें स्विचिंग बहुत फ़ास्ट होती है और करंट Caring कैपेसिटी भी अच्छी है। ये एक सेमि कंडक्टर डिवाइस है। जिसे MOS(Metal Oxide Semiconductor) के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है।

इस कण्ट्रोल पद्धति को PWM (Pulse Width Modulation) कहते है।

इसके आलावा भी VFD में कूलिंग फैन होता है। जो इंटरनल पार्ट को कूलिंग करता है। DC Bus होता है। Control कार्ड होता है। इनपुट आउटपुट टर्मिनल कनेक्टर होता है। डिसप्ले यूनिट होता है। VFD को ऑपरेट करने के लिए, पैरामीटर का सेटिंग करने के लिए on-off-trip जैसे बटन होते है। इसके आलावा स्पीड कण्ट्रोल pot रहता है। जहासे हम स्पीड कंट्रोल कर सकते है।


याद रखे – Variable Frequency Drive एक तरह का मोटर स्टार्टर ही है। जो बहुत सारी सुविधाओं के साथ, प्रोटेक्शन के साथ मिलता है। दूसरे स्टार्टर की तुलना में ये कीमत में मेहगा होता है। 


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