सीरीज टेस्टिंग बोर्ड क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ती है?
सीरीज टेस्टिंग बोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयरिंग के कामों में उपयोग होने वाला एक ऐसा अभिन्न बोर्ड है जिसकी सहायता से शोर्ट हो चुके उपकरणों में भी बिजली का सप्लाई दिया जा सकता है।बहुत बार ऐसा होता है कि रिपेयरिंग का काम करते समय हमारे पास कुछ ऐसे शोर्ट हो चुके उपकरण भी आ जाते हैं जो सप्लाई दिए जाने वाले प्लग पर भी शोर्ट हो चुका होता है।
ऐसे शोर्ट हो चुके उपकरण को यदि हम सीधे ही बिजली बोर्ड में लगाकर सप्लाई दे देंगे तो फेस और न्यूट्रल दोनों ही आपस में शोर्ट हो जायेगा और इससे हमारा वायरिंग खराब हो जायेगा या फिर इससे भी बड़ी प्रॉब्लम हो सकती है।
ऐसे ही समस्याओं से निपटने के लिए खासकर हरेक उन मैकेनिक के पास सीरीज टेस्टिंग बोर्ड का होना बहुत ही जरूरी होता है जो इलेक्ट्रिक उपकरणों के रिपेयरिंग का काम व्यवसाय के तौर पर करते हैं।
Series testing board के माध्यम से आप किसी भी प्रकार से शोर्ट हो चुके उपकरणों को बड़े ही आराम से पॉवर सप्लाई दे सकते हैं। ऐसा करने से आपको कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
उम्मीद है कि अब आप समझ गए होंगे कि हमें सीरीज टेस्टिंग बोर्ड की जरूरत क्यों पड़ती है. तो चलिए अब जानते हैं कि ये board कैसे बनाया जाता है।
ऊपर दिखाए गए सर्किट डायग्राम के अनुसार, सॉकेट में न्यूट्रल का सप्लाई तो डायरेक्ट दे दिया जाता है लेकिन फेस के कनेक्शन के सीरीज क्रम में बल्ब होल्डर और स्विच को लगा दिया गया है। स्विच का काम तो आप समझ रहे होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके सीरीज क्रम में बल्ब क्यों लगाया गया है? यदि बल्ब को हटाकर उसके जगह पर डायरेक्ट कनेक्शन कर दिया जाये तब तो ये बोर्ड भी एक सिंपल बोर्ड जैसा ही हो जायेगा।
दरअसल एक सिंपल बिजली बोर्ड और सीरीज टेस्टिंग बोर्ड में यही अंतर होता है। सिंपल बिजली बोर्ड के सॉकेट में डायरेक्ट सप्लाई दिया जाता है जबकि Series Testing Board में, सॉकेट के सीरीज क्रम में एक बल्ब होल्डर लगा दिया जाता है।
जब इस बोर्ड में सप्लाई दिया जाता है तो Phase का सप्लाई बल्ब होल्डर अर्थात बल्ब में जाता है। इसके बाद बल्ब से होते हुए स्विच में और फिर स्विच से होते हुए Testing wire तक पूछता है।
लेकिन ये सप्लाई सॉकेट से आगे नहीं जा पता है क्योंकि यहाँ से आगे वायरिंग open होता है। चूंकि इस सप्लाई का संपर्क न्यूट्रल से नहीं हो पाता है इसलिए बल्ब नहीं जलता है।
यदि सॉकेट के दोनों पिन को आपस में शोर्ट कर दिया जाये तो Phase का सप्लाई सॉकेट से होते हुए Line में जाने लगेगा और परिपथ पूरा हो जायेगा जिसके परिणामस्वरुप बल्ब जलने लगेगा।
लेकिन हमें तो सॉकेट के दोनों पिन को आपस में शोर्ट करने के बजाए उसमें किसी दुसरे उपकरण के प्लग को लगाना होता है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसे में ये बोर्ड किस प्रकार से काम करता है।
सीरीज टेस्टिंग बोर्ड का उपयोग कैसे किया जाता है?
जब इस बोर्ड के सॉकेट में किसी उपकरण के प्लग को लगाया जाता है तो…
यदि वो उपकरण शोर्ट होता है तो बल्ब पूरे प्रकाश के साथ जलने लगता है। पूरे प्रकाश के साथ बल्ब जलने का मतलब ये हुआ कि बल्ब को पूरा वोल्टेज मिल रहा है अर्थात चेक किया जाने वाला उपकरण शोर्ट है।
यदि वो उपकरण ओपन होता है अर्थात उस उपकरण का कनेक्शन टूटा हुआ होता है तो टेस्टिंग board का बल्ब बिलकुल भी नहीं जलता है क्योंकि इस स्थिति में उस बल्ब का परिपथ भी ओपन होता है।
यदि वो उपकरण शार्ट नहीं होता है तो इस स्थिति में वो उपकरण भी अपना काम करने लगता है और बोर्ड में लगा हुआ बल्ब भी हल्की रौशनी के साथ जलने लगता है।
बल्ब हल्की रौशनी में इसलिए जलता है क्योंकि परिपथ तो पूरा हो जाता है लेकिन बल्ब और उस उपकरण के रेजिस्टेंस की वजह से दोनों को ही पूरा वोल्टेज नहीं मिल पाता जिस वजह से वो सही से काम नहीं करते।
ऐसी स्थिति का मतलब ये हुआ कि आपके उपकरण में चाहे जो भी खराबी हो लेकिन वो शोर्ट नहीं है और आप उसे डायरेक्ट सप्लाई दे सकते हैं।
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