इलेक्ट्रॉनिक्स में रूचि रखने वाले और जो इलेक्ट्रॉनिक्स को हिंदी में पढ़ना चाहते है उनके लिए यह पोस्ट है इस पोस्ट को पढ़ कर बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स की जानकारी सरलता से जान लगे और बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ शुरुआत करना आपके विचार से आसान है। इस पोस्ट के अंत तक आपकी बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स की जानकारी बहुत अच्छी हो जाएगी जिस्से कोई भी इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट को समझना आसान हो जायेगा और बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स की सर्किट बनाने में सक्षम हो जायेगे .
इस बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स को समझने के लिए इसे अलग-अलग Step में समझाने की कोशिस की है
Step 2: Circuits
Step 3: Load
Step 4: Series Vs. Parallel
Step 5: Basic Components
Step 6: Resistors
Step 7: Capacitors
Step 8: Diodes
Step 9: Transistors
Step 10: Integrated Circuits
Step 11: Potentiometers
Step 12: LEDs
Step 13: Switches
Step 14: Batteries
Step 15: Breadboards
Step 16: Wire
Step 17: Your First Circuit
Step 18: Your Second Circuit
Step 19: Your Third Circuit
Step 20: You're on Your Own
इस बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स को समझने के लिए इसे अलग-अलग Step में समझाने की कोशिस की है
All Steps For Basic Electronics
Step 1: ElectricityStep 2: Circuits
Step 3: Load
Step 4: Series Vs. Parallel
Step 5: Basic Components
Step 6: Resistors
Step 7: Capacitors
Step 8: Diodes
Step 9: Transistors
Step 10: Integrated Circuits
Step 11: Potentiometers
Step 12: LEDs
Step 13: Switches
Step 14: Batteries
Step 15: Breadboards
Step 16: Wire
Step 17: Your First Circuit
Step 18: Your Second Circuit
Step 19: Your Third Circuit
Step 20: You're on Your Own
Step 1: Electricity
Electric करंट के दो प्रकार है
- Alternating current (AC)
- Direct current (DC)
Alternating current (AC)
Alternating current एक निश्चित समय के बाद में अपनी दिशा (Direction) और मान (Value) बदलता है इसलिए इसे अल्टरनेटिंग करंट कहते हैं.भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा(Alternating current) की आवृत्ति 50Hz (50 हर्ट्ज़)होती है अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है।जबकि US दूर देशों में 60 Hz है
Alternating current |
Direct current (DC)
जब धारा का मान तथा दिशा समय के साथ परिवर्तित न हो अर्थात धारा का परिमाण तथा दिशा समय के साथ स्थिर बना रहता है इस प्रकार की धारा को DC current कहते है। सामान्यत इस प्रकार की धारा हमारा फोन,laptop चार्ज,led Bulb और सभी प्रकार के डिवाइस DC में काम आती है
Direct current |
Step 2: Circuits
जब बैटरी, सेल या जनरेटर जे सप्लाई में से निकला पॉजिटिव करंट तार से निकलकर वापिस नेगेटिव तार के द्वारा वापस उसी स्थान पर पहुंच जाएं तो उसे विद्युत परिपथ (इलेक्ट्रिक सर्किट) कहते हैं. इसका सबसे आसान उदाहरण है हमारे घर में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण जैसे लाइट बल्ब जैसे ही स्विच चालू करते है वैसे ही बल्ब चालू हो जाता है इसे हम सरल सर्किट कहेगे
विधुत परिपथ के मुख्य तीन प्रकार है
- पूर्ण सर्किट (Closed Circuit) :
- ओपन सर्किट (Open Circuit) :
- शार्ट सर्किट (Short Circuit) :
-
पूर्ण सर्किट (Closed Circuit)
जब किसी सर्किट में करंट आसानी से और सुरक्षा पूर्वक गुजरता है और वह उपकरण बिल्कुल सही प्रकार काम करता है उसे हम एक पूर्ण सर्किट कहते हैं जैसे की हमारे घर में इस्तेमाल होने वाले लैंप ,पंखे ,फ्रिज इत्यादि. यह सभी एक पूर्ण सर्किट के उदाहरण हैं अगर यह सही प्रकार कार्य करें तो. ऊपर आपको जो फोटो दिखाया गया है वह एक पूर्ण सर्किट का ही चित्र है.
- ओपन सर्किट (Open Circuit)
जब किसी सर्किट के तार टूट जाए या फ्यूज खराब हो जाए या तार स्विच बटन से बाहर निकल जाए . तो वह इलेक्ट्रिक सर्किट काम नहीं करेगा जिसे हम Open Circuit कहते हैं क्योंकि जो विद्युत परिपथ है वह पूरा नहीं हो पाता और जो पावर सप्लाई होगी वह उपकरण तक नहीं पहुंच पाती जिसके कारण वह उपकरण काम नहीं करता.यहा मेने ac voltage की जगह battery और led से समझाया है की जब के बिच का कनेक्शन टूट गया है इसलिए इस सर्किट को ओपन सर्किट कहेगे।
- शार्ट सर्किट (Short Circuit) :
घर में कोई सर्किट के Phase Wire और न्यूट्रल वायर आपस में बिना किसी लोड के जुड़ जाएं तो उसमें बहुत ज्यादा करंट प्रवाहित होगा जिसके कारण सर्किट में लगा Fuse भी जल जाता है और यहां तक कि वायर का इंसुलेशन भी जल जाता है. जिस हम शार्ट सर्किट कहते हैं.इसका सबसे बड़ा कारण किसी भी तार का इंसुलेशन खराब होना होता है क्योंकि बहुत बार किसी तार का इंसुलेशन बहुत जल्दी खराब हो जाता है जिसके कारण दोनों तार आपस में मिल जाती है और शार्ट सर्किट हो जाता है। इसमें शार्ट सर्किट को बताने के लिए मने LED के दोनों टर्मिनल को green वायर से शार्ट कर दिया जिसे LED बंद हो गई है
Step 4:Electric load
विद्युत ऊर्जा लेने वाले उपकरण को विद्युत भार(electric load) के रूप में जाना जाता है। दूसरे शब्दों में, विद्युत भार एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को विद्युत धारा के रूप में ग्रहण करता है और इसे अन्य रूपों जैसे ताप, प्रकाश, कार्य आदि में परिवर्तित करता है। विद्युत भार प्रतिरोधक, प्रेरक(inductive), कैपेसिटिव या उनके बीच कुछ संयोजन हो सकता है।
Electrical Loads के प्रकार
- Resistive Load
- Inductive load
- Capacitive Load
Resistive Load
प्रतिरोधक भार सर्किट में विद्युत ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करता है और इसे थर्मल ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिसके कारण सर्किट में ऊर्जा का बहाव होता है। lamp और हीटर प्रतिरोधक भार के उदाहरण हैं।
Inductive load
आगमनात्मक भार (Inductive load)काम करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं। ट्रांसफार्मर, जनरेटर, मोटर इसके उदाहरण हैं। आगमनात्मक भार में एक कुंडल(coil) होता है जो चुंबकीय ऊर्जा को संग्रहीत करता है तब करंट इसके माध्यम से गुजरता है।
Capacitive Load
कैपेसिटिव लोड,में वोल्टेज तरंग(waveform) वर्तमान लहर(current wave) का नेतृत्व कर रही है। कैपेसिटिव लोड के उदाहरण कैपेसिटर बैंक, तीन चरण इंडक्शन मोटर स्टार्टिंग सर्किट हैं
Step 4: Series Vs. Parallel
Series
Load connection के दो अलग-अलग तरीके हैं जैसे की श्रृंखला(series) और समानांतर(parallel) हैं।
जब चीजों को श्रृंखला में वायर से connect किया जाता है, तो electric load को एक के बाद एक को तार से कनेक्ट किया जाता है, जैसे कि बिजली को एक चीज से गुजरना पड़ता है, फिर अगली चीज, फिर अगली, और इसी तरह। इस तरह के कनेक्शंस को सीरीज कनेक्शन कहते है।
Parallel
जब load को समानांतर(parallel) में कनेक्ट किया जाता है, तो उन्हें एक तरफ से तार दिया जाता है, जैसे कि एक ही समय में उन सभी के माध्यम से बिजली गुजरती है, एक सामान्य बिंदु से दूसरे सामान्य बिंदु तक
Step 5: Basic Components
सर्किट बनाने के लिए, आपको कुछ बुनियादी घटकों से परिचित होने की आवश्यकता होगी। ये घटक सरल लग सकते हैं, लेकिन अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स परियोजनाओं की रोटी और मक्खन हैं। इस प्रकार, इन कुछ बुनियादी हिस्सों के बारे में जानने से, आप एक लंबा रास्ता तय कर पाएंगे।
मेरे साथ सहन करें जैसा कि मैंने बताया कि आने वाले चरणों में इनमें से प्रत्येक क्या है।
Step 6: Resistors
Resistors passive electrical components हैं करंट के मार्ग में बाधा उत्पन करने वाले को ही रेसिस्टेन्स करते है। इसको R से प्रदर्शित करते है इसका मात्रक Ω है। रेसिस्टर का मतलब होता है। रोकना यानी किसी दबाव या बहाव को रोकना। रेसिस्टर का इस्तेमाल करंट को कम करने के लिए सर्किट में होता है। आपने पंखे की स्पीड को काम ज्यादा करने वाले स्विच को जरूर देखा हो। जिसे घुमाकर मनमुताबी पंखे की स्पीड को कण्ट्रोल करते है। जिसमे रेसिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है। किसी चालक की चौड़ाई बढने पर रेसिस्टेन्स काम होता है औऱ लम्बाई बढ़ने पर रेसिस्टेन्स बढ़ता हैं।
प्रतिरोध भी अलग-अलग वाट क्षमता रेटिंग के साथ आते हैं। अधिकांश कम-वोल्टेज डीसी सर्किट के लिए, 1/4 वाट प्रतिरोधक उपयुक्त होना चाहिए।
Step 7: Capacitors
कैपेसिटर एक Passive element है जो Energy को Electrical charge के फॉर्म में Store कर लेता है एक छोटी Rechargeable Battery की तरह कैपेसिटर बहुत ही कम समय में चार्ज होता है और डिस्चार्ज हो जाता है कैपेसिटर को hindi में संधारित्र कहते है और इसे कंडेनसर भी कहते है.
Capacitance का S.I unit मात्रक farad फैराडे होता है इसे F से दर्शाते है
कैपेसिटर में दो Conductor Plates होती है जिनके बीच एक insulator material रख दिया जाता है इस material को dielectric material कहते है कैपेसिटर के लिए dielectric material paper,plastic,glass,rubber कुछ भी हो सकता है दोनों Conductors को metal की पतली rods से जोड़ा जाता है
Step 8: Diodes
Diode एक खास तरह का Electronic Component होता है,जो Current को सिर्फ एक Direction में Flow होने की अनुमति देता है इसके दो Terminal होते है
डायोड में जो Silver Color की line है उस तरफ का terminal Cathode है और डायोड के symbol में जो ट्रायंगल की नोक है उस तरफ कैथोड है और दूसरी तरफ एनोड है कैथोड और एनोड डायोड में एक Direction में Current बहने पर low Resistance होता है और दूसरी दिशा में बहुत high resistance होता है जिससे Current Flow शून्य हो जाता है
ज्यादातर diode semiconductor material के बने होते है जैसे की सिलिकॉन, जर्मेनियम डायोड में P Types Semiconductor और N Types Semiconductor से बने होते है इन्हें P-N Junction डायोड कहते है P Types Semiconductor और N Types Semiconductor को डोपिंग द्वारा जोड़ा जाता है ,डायोड भले ही दिखने में छोटा होता हो लेकिन यह कई बड़े कार्य करने में सहायक होता है। डायोड को हम रेक्टिफायर्स, सिग्नल मोडुलेटर, वोल्टेज रेगुलेटर, सिग्नल लिमिटर्स आदि के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
Step 9: Transistors
ट्रांजिस्टर बहुत ही छोटा और साधारण सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है लेकिन इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसी उपकरण के कारण हम सब कंप्यूटर और मोबाइल में इतनी स्पीड से काम कर पाते हैं. ये सभी डिजिटल सर्किट के लिए एक महत्वपूर्ण घटक (component)हैं. इसके बिना किसी भी इलेक्ट्रानिक सर्किट को बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा इसका प्रयोग एम्प्लीफिकेशन के लिए किया जाता है. यानी ये सिंग्नल को एंप्लीफाई करता है व सर्किट को बंद-चालू करने में मदद करता है.
ट्रांजिस्टर एक ऐसा अर्धचालक (semiconductor) इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और विद्युत शक्ति को स्विच या अम्प्लिफाई करने के लिए किया जाता है.
मुख्य रूप से ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं: N-P-N और P-N-P.
N-P-N ट्रांजिस्टर: इसमें P प्रकार के पदार्थ की परत को दो N प्रकार की परतों के बीच में लगाया जाता है यानी अगर किसी Transistor का P सिरा बीच में हैं तो वह N-P-N ट्रांजिस्टर कहलाता हैं. इसमें इलेक्ट्रान बेस टर्मिनल के जरिये कलेक्टर से एमीटर की और बहते है.
P-N-P ट्रांजिस्टर: इसमें जब N प्रकार के पदार्थ की परत को दो P प्रकार की परतों के बीच में लगाया जाता है यानी किसी ट्रांजिस्टर का N सिरा बीच में हैं तो वह P-N-P ट्रांजिस्टर कहलाता है.
Step 10: Integrated Circuits
इंटीग्रेटेड सर्किट IC चिप या माइक्रो चिप के नाम से भी जाना जाता है एक एकीकृत सर्किट एक संपूर्ण विशिष्ट सर्किट होता है जिसे लघु और एक छोटे चिप पर फिट किया जाता है जिससे चिप के प्रत्येक पैर सर्किट के भीतर एक बिंदु से जुड़ जाते हैं। ये लघु सर्किट आमतौर पर ट्रांजिस्टर, प्रतिरोध और डायोड जैसे घटकों component से युक्त होते हैं।
555 टाइमर चिप के लिए आंतरिक योजनाबद्ध में 40 से अधिक घटक हैं।
ट्रांजिस्टर की तरह, आप सभी अपने डेटाशीट को देखकर एकीकृत सर्किट के बारे में जान सकते हैं। डेटशीट पर आप प्रत्येक पिन की कार्यक्षमता सीखेंगे। यह दोनों चिप और प्रत्येक व्यक्तिगत पिन के वोल्टेज और वर्तमान रेटिंग को भी निर्दिष्ट करना चाहिए।
एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है।
Step 11: Potentiometers
ऐसे रेसिस्टर्स जिनका मान सरलता से घटाया बढ़ाया जा सके पोटेंशियोमीटर कहलाते है। रेडियो रिसीवर में वोल्यूम तथा टोन नियंत्रण के लिए प्रयोग किये जाने वाले रेसिस्टर पोटेंशियोमीटर कहलाते है।
इनसे एक व्रताकार पट्टी जो लगभग ¾ व्रत खण्ड आकार की होती है के ऊपर कार्बन फिल्म जमाई जाती है ।
एक धुरे से जुड़ा एक आर्म इस पत्ती पर इस प्रकार गति करता है कि आर्म तथा पत्ती के एक सिरे के बीच शून्य से अधिकतम के बीच कोई भी रेसिस्टेन्स मान प्राप्त किया जा सके।
पोटेंशियोमीटर अधिकतर कार्बन किस्म के बनाये जाते है परन्तु कुछ विशेष कार्यो (जैसे मल्टीमीटर में सैल के E M F के संयोजन के लिए लगाया गया नियंत्रण ) के लिए निम्न मान (जैसे 1 से 100 ओम तक) के वायर वाउंड किस्म के पोटेंशियोमीटर भी बनाये जाते है।
Step 12: LEDs
Light emitting diode एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है। यह एक PN जंक्शन है जो एक इलेक्ट्रिक करंट से गुजरने पर प्रकाश का उत्सर्जन या उत्पादन करता है। कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइटिंग की तुलना में LED लाइटिंग अधिक बहुमुखी, कुशल और लंबे समय तक चलने वाली हो सकती है।
इस प्रकार का डायोड रिमोट कंट्रोल के लिए अलग-अलग रंग की तरंग दैर्ध्य में दृश्य प्रकाश या अदृश्य प्रकाश की संकीर्ण बैंडविड्थ का उत्सर्जन करता है। यह बेहतर है क्योंकि यह साइज में छोटा है और इसके रेडिएशन पैटर्न को आकार देने के लिए कई ऑप्टिकल कंपोनेंट का उपयोग किया जा सकता है।
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