इस पोस्ट में आज रिले की कोइल के साथ डायोड को क्यू कनेक्ट किया जाता है इसके बारे में बताने वाला हु।
इस में हम पहले inductor की प्रॉपटी (गुणधर्म ) के बारे में बताने वाला हु और इसके बाद हम एक्सपरिमेंट के द्वारा हम जाने की डायोड को कनेक्ट करने और नहीं करने से क्या असर पड़ता है, सर्किट पर और दूसरे कनेक्टेड कॉम्पोनेन्ट पर, और इसमें हम यह भी जानेगे की इंडक्टीवे लोड का क्या असर पड़ता है और इसे केसर प्रोटेक्ट (सुरक्षित) किया जाता है।
why diode used in relay |
what is inductor |
इंडक्टर यह पैस्सिव कम्पोनेनेट है , प्रेरक या इंडक्टर (inductor) एक वैद्युत component है जिसमें कोई विद्युत धारा (current) प्रवाहित करने पर यह चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में उर्जा का stores (सग्रहित) करता है।
Inductor sign Convention |
sign convention(संकेत सम्मेलन) यह इंडक्टर में इंडक्टर की पॉजिटिव और नेगेटिव sign को बताता है। इंडक्टर में sign का अर्थ किस तरही है की ऊपर की सर्किट में देख सकते है ,इंडक्टर का एक छेड़ा पोसिटिव होता है और एक पॉइंट नेगेटिव होता है जो छेड़ा (टर्मिनल) पॉजिटिव होगा उसे dot या plus sign से बताया जाता है। परन्तु यह sign बदल ती है इंडक्टर के चार्जिंग और डिस्कारगण के आधार पर, सामान्य two terminal वाले इंडक्टर में dot या sign दोनों टर्मिनल में से किसी भी टर्मिनल को मन सकते है ,परन्तु ट्रांसफॉर्मर की वाइंडिंग में ये पॉइंट फिक्स होता है, इसे इस तरही समझते है।
Sign convention at inductor charging cycle |
जब बटन ओपन होगा तब इंडक्टर में स्टोर एनर्जी का फ्लोई पहले की डायरेक्शन से उलटी डायरेक्शन में फ्लो होगा ,और इस समय इसका डॉट की इस sign की डायरेक्शन भी बदल जाती है। यह इंडक्टर का sign convention का रूल है। इसे हम इंडक्टर के वर्किंग और उसकी characteristic को समज सकते है।
R load control by PWM switching and effect |
R Load को कण्ट्रोल PWM स्विचन से कट्रोल करने पर उसके वावफॉर्म में किसी भी प्रकार का चैनिंग नहीं आता यानि की कोई Ringing,transient और दूसरे इफ़ेक्ट।
L load control by PWM Switching and waveform |
परन्तु जब PWM स्विचन से L load को कण्ट्रोल करने पर उसमे transient, और रिंगिंग और spike देखने को मिलती है जो की लोड और दूसरे कम्पोनेंट और सर्किट को इफ़ेक्ट करती है।
यह रिले के साथ एक सिंपल सा सर्किट है जिसमें हम लोगों ने स्विच(transistor) और एक रिले कोयल or button का और सप्लाई के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया है
जैसे कि सर्किट में आप देख सकते हैं कि एक रिले को हम लोगों ने एक transistor के साथ कनेक्ट किया है जब S1 को प्रेस करेंगे तब रिले coil energies होगी और उसमें से करंट फ्लो होगा उस समय कांटेक्ट NO से NC होंगे और रिले की कएल में पोसिस्टीवे डायरेक्शन से एनर्जी स्टोर होगी। इसे हम sign convention से समाज सकते है।
जब हम ऐसी चीज को करेंगे तब स्टोर हुआ एनर्जी वह रिलीज होगा आप इमेज में देख सकते हो उसमें स्पाइक्स जनरेट हो गया यह स्पाइक हमारे रिले के साथ कनेक्टेड दूसरे कंपनी को आप एक करेगा और सर्किट में मिसबिहेव ऐसी प्रॉब्लम को सर्किट में लाएगा को हमें जिससे सर्किट को स्पाइक से प्रोटेक्ट कर सकते हैंएक्सपेरिमेंट में हम रिले कोयल के आक्रोश जनरेट होने वाले स्पाइक्स को बिना असीलो स्कोप के किस तरह से देख सकते हैं और जब डायोड को कनेक्ट करने पर बाइक आएगी और उससे प्रोटेक्ट होगी यह हम लोग देखेंगे
इसके लिए आपको एक 5 वोल्ट की सप्लाई की जरूरत होगी एक बटन एक एलईडी रिले कोयल 5 वोल्ट की एक डायोड सर्किट में बताए अनुसार इसे हम लोग कनेक्ट करेंगे जब हम ऐसे इसको प्रेस करेंगे तब उसमें से करंट फ्लो का ओरिजिनल साइज होगी जब हम रिलीज करेंगे तब रिले कोयल में स्टोर एनर्जी रिलीज होगी इसे हम लोग एलईडी के ऊपर देख सकते हैं सर्टेनली बाइक से ऑन होगी और ऑफ हो जाएगी जितनी बार हम लोग बटन को प्रेस करेंगे और रिलीज करेंगे उतनी ही बार हुआ है इतनी बार रिले ऑन ऑफ ऑन ऑफ और एलईडी स्पाइक से ऑन और ऑफ हो जाएगी इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए हमें डायोड कनेक्ट करेंगे जिस तरह सर्किट में बताया गया है अब जब देश वह डायोड के थ्रू बाईपास हो जाएगी और उसी में उस रूप में करंट फ्लो होने लगेगा विवो में हम देख सकते हैं जो स्पाइक जनरेट हो रही थी उसकी जो साइज है वह घट गई है के अंदर हमें देखने को मिल रही है तो रिले के आक्रोश के डायोड का वर्क यह होता है कि जब रिले ऑफ कंडीशन में आती है तो उसमें से रिलीज हुए चार्ज को पास फ्रीव्हील करने के लिए किया जाता है इस रीज़न से जिले के आक्रोश के डायोड को हम लोग फ्रीव्हील डायोड भी कहते हैं और दूसरा नाम इसका फ्लाईबैक डायोड है
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