Skip to main content

विद्युत चुंबकीय प्रेरण Electromagnetic induction in Hindi

what is Electromagnetic induction

This post about Electromagnetic Induction and Faraday's Law of Electromagnetic Induction applied to a coil of wire. Electromagnetic Induction or Induction is a process in which a conductor is put in a particular position and magnetic field keeps varying or magnetic field is stationary and a conductor is moving. This produces a Voltage or EMF (Electromotive Force) across the electrical conductor.
Electromangnetic induction

विद्युत चुंबकीय प्रेरण  (Electromagnetic induction ) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें यदि किसी चालक पर पड़ने वाले चुंबकीय फ्लेक्सों की संख्या निरंतर बदलती रहती है तो उस चालक में विद्युत वाहक बल (electromotive force or emf ) या वोल्टेज स्थापित हो जाता है और यदि यह चालक बंद पास (closed loop) का निर्माण करता है तो इस चालक में विधुत धारा  भी प्रवाहित होने लगती है|
At starting satge Electromangnetic induction
  • विद्युत चुंबकीय प्रेरण  (Electromagnetic induction ) के सिद्धांत  की खोज माइकल फैराडे ने सन 1830 ई. में की थी|
    Michael Faraday
  • हमारे आस पास या औद्योगिक क्षेत्रों में प्रयोग होने वाली ऐसी कई सारी उपकरणे या मशीनें हैं जोकि विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करती हैं | जैसे –जनरेटर ,ट्रांसफोर्मर आदि

Explain electromagnetic induction

अब हम विद्युत चुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic induction ) के सिद्धांत को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे |
  • निचे चित्र में देखें, इसमें एक coil C है| 
  • इस coil में कई सारे turns है और यह coil एक गैल्वेनोमीटर (जो कि विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने वाली electric current को मापता है) से जुड़ा हुआ है|
  • इस गैल्वेनोमीटर का जो indicator है वह प्रारंभ में  मध्य बिंदु या 0 पर स्थिर रहता है|
  • यदि इस coil की तरफ किसी स्थाई चुंबक को ले जाते हैं तो coil से जुड़े गैल्वेनोमीटर का indicator मध्य बिंदु से विचलित होता है अर्थात करंट के कुछ मान को प्रदर्शित करने लगता है और जब स्थाई चुंबक को coil की ओर ले जाते हुए रोक देते हैं तो गैल्वेनोमीटर के indicator फिर से मध्य बिंदु पर ही आ जाता है|
  • जब इस स्थाई चुंबक को coil से दूर ले जाते हैं तो भी गैल्वेनोमीटर का indicator कुछ विचलन प्रदर्शित करता है लेकिन यह विचलन पहले की तुलना में विपरीत दिशा में रहता है और जब दूर ले जाते हुए चुंबक को रोक देते हैं तो गैल्वेनोमीटर फिर से शून्य मान प्रदर्शित करने लगता है|
इस उदाहरण से हमें यह बात समझ में आती है कि-
stape 1 when magnet enter in coil 

stape 2  magnet move in coil & meter deflect sum value 
stape 3  when magnet does not move  meter not show any value 
stape 4  magnet move in coil opposite direction & meter deflect negetive value 
“जब तक coil पर पड़ने वाले चुंबकीय फ्लेक्सों का मान बदलता रहता है तब तक coil में current बहती रहती है लेकिन जैसे ही हम चुंबक को रोक देते हैं तो coil में current का बहाव समाप्त हो जाता है|”

विद्युत चुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic induction ) के सिद्धांत के अनुसार किसी चालक में विद्युत वाहक बल दो प्रकार से उत्पन्न किया जा सकता है|

प्रेरित वि.वा.ब. (Induced emf)

1) गतिशील प्रेरित वि.वा.ब (Dynamic induced EMF)

चालक में विद्युत वाहक बल (emf) प्रेरित करने की इस विधि में चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तित नहीं होता है लेकिन इस चुंबकीय क्षेत्र में चालक निरंतर गतिशील अवस्था रहता है जिससे कि इस पर पड़ने वाले चुंबकीय फ्लक्सो की संख्या बदलती रहती है|
  • इस विधि से चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल को गतिशील प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं क्योंकि यह emf चालक के गतिशील होने के कारण प्रेरित होता है|
  •  emf उत्पन्न करने की इस  विधि का प्रयोग इलेक्ट्रिक dc जनरेटर में किया जाता है|

2) स्थैतिक प्रेरित वि.वा.ब (Statically induced EMF) 

  • दूसरी विधि में चालक स्थिर रहता है और चुंबकीय क्षेत्र का मान बदलता रहता है या फिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाला गतिशील अवस्था में रहता है|
  • ट्रांसफॉर्मर एक ऐसी इलेक्ट्रिकल मशीन है जिसमें चालक और चुंबकीय क्षेत्र दोनों ही स्थिर अवस्था में रहते हैं लेकिन चुंबकीय क्षेत्र का मान परिवर्तित होते रहता है जिससे की चालक में विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है|
  • अल्टरनेटर में चालक स्थिर रहता है लेकिन चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाला गतिशील (motion) अवस्था में रहता है|
  • स्थिर चालक में emf प्रेरित होने के कारण उत्पन्न emf को स्थैतिक प्रेरित विद्युत वाहक बल (Statically induced EMF) कहते हैं|

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Stabilizer in Hindi स्टेबलाइजर की पूरी जानकारी हिंदी में

स्टेबलाइजर क्या होता है घर के लिए सही वोल्टेज स्टेबलाइजर आपने वोल्टेज स्टेबलाइजर के बारे में जरूर सुना होगा और आपके घर में stabilizer जरूर होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्टेबलाइजर क्या होता है?(what is stabilizer ?) क्या आप जानते हैं कि स्टेबलाइजर का काम क्या है और स्टेबलाइजर कितने प्रकार के होता है? क्या आप जानते हैं कि स्टेबलाइजर कैसे काम करता है? यदि नहीं जानते हैं तो हमारा ये पोस्ट जरूर पढ़ें। इस पोस्ट में आज हम स्टेबलाइजर की पूरी जानकारी हिंदी(stabilizer in Hindi) में देने जा रहे हैं। स्टेबलाइजर एक ऐसी डिवाइस होती है जो कि Fix Value की वोल्टेज प्रदान करता है.हमारे घर में कुछ ऐसे उपकरण होते हैं जिन्हें कम से कम 240 V की सप्लाई की जरूरत होती है और कुछ कारणवश हमारे घर में अगर सप्लाई 240V से कम आती है तो वह उपकरण ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता इसीलिए उसके लिए स्टेबलाइजर की जरूरत पड़ती है. जो कि हमारे घर में आने वाली सप्लाई को 240V पर Fix कर के उपकरण को 240V की सप्लाई प्रदान करता है. स्टेबलाइजर का इस्तेमाल ज्यादातर रेफ्रिजरेटर  (फ्रिज) एयर कंडीशनर इत्यादि पर किया जाता है.

वायर जॉइंट के Different प्रकार

 Different Types of Wire Joint Requirement:- किसी भी तार में जॉइंट बनाने की जरुरत क्यों पड़ती है किसी भी वायर में जॉइंट बनाने की जरुरत इसलिए पड़ती है ताकि किसी भी चालक तार की लम्बाई बढ़ाई जा सके और किसी चालक लाइन में से किसी अन्य लाइन को जॉइंट बनाकर उसे स्थाई रूप से जोड़ा जा सके जॉइंट ऐसा होना चाहिए की वह लाइन को अच्छे कनेक्ट तथा लाइन को पर्याप्त सुद्रढ़ता भी प्रदान कर सके,,इन जोइन्टो को विभिन्न प्रकार से तैयार किया जाता है यह चालक तार की मोटाई,जोड़ की किस्म,जॉइंट किस लाइन में लगाना है इत्यादि पर निर्भर करती है  ।   Different Types of  Joints:-ओवर हेड लाइन्स तथा घरेलु वायरिंग में मुख्यतः निम्न जोड़ प्रचलित है  Twisted Joint(ऐंठा हुआ जोड़) :- इस प्रकार के जॉइंट में तारो अथवा केबल के चालक सिरों को आपस में ऐंठ कर उनके अंतिम समापन सिरों को जोड़ की और मोड़ देते है इस प्रकार का जॉइंट ओवर हेड लाइन में खम्बो के ऊपर लगे इंसुलेटर पर लगाया जाता है इसे किसी लाइन के मध्य में नहीं लगाया जाता है इसे Pig Tail अथवा Rat-Tail Joint जॉइंट भी कहते है।    Married Joint(मैरीड जॉइंट) :- इस प्रकार के जॉइंट में तारो अथ

Star Delta Starter In Hindi | स्टार डेल्टा स्टार्टर | का प्रयोग मोटर में क्यों किया जाता है ?

स्टार डेल्टा स्टार्टर |Star Delta Starter इस Article मे स्टार डेल्टा कनेक्शन, Star Delta Formula, स्टार डेल्टा स्टार्टर का सिद्धांत, पावर डायग्राम, कन्ट्रोल डायग्राम, स्टार डेल्टा स्टार्टर के लाभ एवम नुकशान और स्टार डेल्टा स्टार्टर से संबधित इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल पे भी विस्तृत में जानकारी देने की कोशिश की हे। आशा हे आप के लिए मददगार होगी। Star Delta Starter मोटर को सलामती पूर्वक चालू करने के लिए, मोटर का रक्षण करने के लिए एवम मोटर का स्टार्टिंग करंट कम करने के लिए उपयोग किया जाता हे। मोटर को स्टार्ट करने के लिए और भी कही टाइप के स्टार्टर हे। जैसे की डायरेक्ट ऑन लाइन स्टार्टर, स्टार डेल्टा स्टार्टर, ऑटो ट्रांसफार्मर स्टार्टर, सॉफ्ट स्टार्टर, vfd (Variable Frequency Drive) और रोटर रेजिस्टेंस स्टार्टर, जो मोटर को सलामती पूर्वक चालू भी करते हे,और सुरक्षा भी प्रदान करते हे। स्टार डेल्टा स्टार्टर क्या है? एक स्टार्टर का काम हे स्टार्ट करना। यहां एक इलेक्ट्रिक मोटर स्टार्टर की बात हे। स्टार डेल्टा स्टार्टर याने, एक इलेक्ट्रिकल उपकरण जो कही उपकरणों को एकत्रित करके तैयार किया जाता ह